शिशु मंदिर का उद्देश्य बच्चे देश और समाज को गौरवशाली बना सके–भालचंद्र रावले
मनोहर ठाकुर
कांकेर
बिलासपुर/सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति छत्तीसगढ़ प्रान्त के द्वारा आयोजित सामान्य आचार्य प्रशिक्षण वर्ग कोनी बिलासपुर में माननीय डाॅ. आलोक चक्रवाल जी कुलपति गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के मुख्य आतिथ्य एवं माननीय श्री भालचंद्र रावले क्षेत्रीय संगठन मंत्री ,प्रांतीय अध्यक्ष अभय सिंह ठाकुर, सचिव ठाकुर राम कुर्रे वर्गाअधिकारी रतनलाल चक्रधर की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर वर्ग का उद्घाटन किया गया ।
मुख्य वक्ता भालचंद्र रावले क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने विद्या भारती की विकास यात्रा एवं परिचय पर अपने उद्बोधन में सरस्वती शिशु मंदिर योजना का शुभारंभ क्यों हुआ कैसे किया गया इस पर प्रकाश डाले।
श्री रावले जी ने कहा अपने देश समाज संस्कृति और परंपरा के लिए अपनत्व का गौरव का भाव हो इस पर ध्यान रखते हुए शिशु मंदिर योजना का शुभारंभ हुआ शिशु मंदिर शुभारंभ करते समय यह ध्यान रखा गया था कि विद्यालय का माध्यम मातृभाषा हो, विद्यालय को सत्ता के योगदान पर नहीं समाज के सहयोग पर चलाना है, इसका उद्देश्य बच्चों का ऐसा विकास करना कि उनमें विद्यमान क्षमता व प्रतिभा प्रकट हो सके, जिज्ञासा का भाव, ज्ञान का पांडित्य तथा संस्कारों की पवित्रता पनप सकें ,उनमें देश की माटी पूर्वजों व संस्कृति के साथ एकात्म भाव जाग सके सामाजिक दृष्टि व समाज सेवा के भाव से प्रेरित होकर वह घर के दीप व जग के दिवाकर बन सके ।उनके विचारों में विद्वता भावनाओं में पवित्रता तथा आचरण में परकल्याण भाव के दर्शन हो सकें। बच्चों में देशभक्ति राष्ट्रीयता विनम्रता निर्भीकता ,सामाजिकता ,के साथ-साथ समस्त गुणों का प्रकटीकरण करना है ,जिससे वह समाज में यशस्वी जीवन यापन कर सकें और साथ ही अपने देश और समाज को गौरवशाली बना सकें।
इस भाव से 1952 में उत्तर प्रदेश गोरखपुर से शिशु मंदिर का शुभारंभ हुआ, विद्यालय के माध्यम से बच्चों में संस्कार ,मानसिक, बौद्धिक,प्राणिक, आध्यात्मिक विकास करना है। विद्या भारती की पांच आधारभूत विषय हैं शारीरिक ,योग ,नैतिक एवं आध्यात्मिक संस्कृत, संगीत शिक्षा।
कोरोना काल में विद्यालय, अध्यापन प्रभावित हुआ ,किंतु इस काल में टेक्नोलॉजी सीखने का अवसर भी मिला। देश भर में विद्या भारती का कार्य शिक्षा के क्षेत्र में नगर,ग्राम में विद्यालय चल रहे हैं,वनांचल में एकल विद्यालय, व पिछड़ी बस्तियों में संस्कार केंद्र चल रहे हैं।
वहीं मुख्य अतिथि डॉ आलोक चक्रवाल ने तोतापुरी महाराज, रामकृष्ण परमहंस , दलाई लामा ,सिद्धार्थ, भगवान बुद्ध पर उदाहरण देते हुए गुरू शिष्य की परंपरा के महत्व पर अपनी बातें रखें।”
इसके पूर्व विधिवत रूप से यज्ञ हवन किया गया।
वर्ग के बारे में जानकारी देते हुए प्रांतीय अध्यक्ष अभय सिंह ठाकुर ने बताया कि इस वर्ग में 102 महिला आचार्य एवं 78 पुरूष आचार्य 23 मई तक पन्द्रह दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे माननीय श्री रतनलाल चक्रधर जी इस वर्ग के वर्गाधिकारी के रूप में पूरे समय उपस्थित रहेंगे।उद्घाटन अवसर पर प्रान्त प्रबंधकारणीय के उपाध्यक्ष सहदेव साहू कोषाध्यक्ष पुरंदन कश्यप, सचिव ठाकुर राम कुर्रे ,सह सचिव सुदामा साहू एवं क्रीडा परिषद के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, सचिव श्री संतोष तिवारी, प्रांत प्रमुख संतोष निषाद सह प्रांत प्रमुख चिंता राम साहू आदि उपस्थित रहे।